
चलो बिखरने🔸 देते है ज़िन्दगी को अब,
सँभालने की भी तो एक हद🔸 होती है।
अजीब तरह 🔸से गुजर गयी मेरी भी ज़िन्दगी,
सोचा कुछ, किया कुछ, 🔸हुआ कुछ, मिला कुछ।
कितना मुश्किल🔸 है ज़िन्दगी का ये सफ़र,
खुदा ने मरना हराम किया 🔸लोगों ने जीना।
जुगनुओं की 🔸रोशनी से तीरगी हटती नहीं,
आइने की सादगी से झूठ🔸 की पटती नहीं,
ज़िन्दगी में गम 🔸नहीं फिर इसमें क्या मजा,
सिर्फ खुशियों के सहारे ज़िन्दगी🔸 कटती नहीं।
रोज़ दिल में 🔸हसरतों को जलता देखकर,
थक चुका हूँ ज़िन्दगी का ये🔸 रवैया देखकर।